रविवार, 30 अगस्त 2009

कवितायें ....

उन लहरों की तरह हैं
जो मन के एक कोने से
उभरती हैं, और
ज़हन के सारे भाव
बहा लाती हैं
आत्मा के किनारे तक।
और छोड़ कर उन्हें
विलीन हो जाती हैं
काल के क्षितिज में.....

रह जाते हैं तो सिर्फ़
रेत के कागज़ पर
उनके आने-जाने के
निशाँ......

मैं अनाथ

मैं .....
अकेला, निहत्था , अनाथ।
मैंने दुनिया से,
और दुनिया ने मुझ से
न कुछ लिया
न दिया...
मुझे अपने साथ ही
हर दिन बीतना होगा
उगना होगा
सुबह के साथ
और भुला देना होगा
उन सभी
तथाकथित दुर्व्यवहारों को...
और यादों को....

क्योंकि अकेले जीना
आसान हो जाएगा
यदि मैं उन के बारे में
सोचना छोड़ सकूँ
यदि मैं चुप रह सकूँ।

क्योंकि मुझे पता है
कि मेरी आवाज़
किसी को
सुनाई नही देगी
और अगर सुनाई दी भी तो
अनसुनी कर दी जायेगी
या भुला दी जायेगी।

मैं पलायनवादी नहीं हूँ...
पर मैं विश्वास करता हूँ
अकेले जीने में
और शायद इसीलिए
मैं ख़ुद के साथ हूँ।




शनिवार, 29 अगस्त 2009

फ़िर एक बार आज...

अभी अभी
एक आवाज़ सी
सुनाई दी
मेरे अंतर्मन से...
जैसे किसी शांत झील में
एक हलचल सी हुई हो
और बिखरी हो सोच की लहरें
हर दिशा में...
फ़िर मैंने महसूस किया
अपने होने को...
लेकिन
क्या सिर्फ़ होना ही काफ़ी है?
यूँ तो जीवित रहना
अर्थहीन, व्यर्थ लगता है।
फ़िर कुछ शिकायतें की मैंने
अपने आप से
मैं रूठी ख़ुद से
मनाया मैंने स्वयं ही
और जगाई एक नन्ही किरण
अपने मन के कोने में।
जैसे किसी पुरानी कुटिया
में किया हो दीपदान।
अपनी उँगलियों के पोरों से
महसूस किया बोझिल पलकों को,
संवारा अपने उलझे बालों को
अपनी उलझी ज़िन्दगी की तरह।
फ़िर एक बार आज
बहुत दिनों बाद
दर्पण को देखा
और देखा मन के कोने में रखा
वो छोटा सा दीप
टिमटिमाता ..अपनी आंखों में ,
फ़िर....
मैंने महसूस किया
अपने जीवित होने को।

चलो शुरुआत करें ...

कभी पढ़ा था ....
मंजिलें मिलती हैं उनको ...
जब परिंदे पर खोलते हैं।
अक्सर खामोश रहते हैं वो,
जिनके हुनर बोलते हैं...

खामोशी एक जरिया है ख़ुद तक पहुँचने का। जब आस पास का शोर इतना बढ़ जाए कीइंसान ख़ुद के मन् की आवाज़ न सुन सके तो सिर्फ़ यही माध्यम रह जाता है .... खामोशी।

इसी खामोशी से निकले कुछ अंतर्द्वंद सहेज कर रख लेती हूँ अपनी डायरी के पन्नो में... क्या पता किसी खामोश पल में ख़ुद से संवाद ही न बन पाये तब ये ही पन्ने सुनायेंगे मुझे मेरी आवाज़॥

अपनी ज़िन्दगी के कुछ किस्से कुछ कवितायें इस ब्लॉग के ज़रिये फ़िर से जीवान्वित होते देखन चाहती हूँ ।